मृत व्यक्ति के संरक्षित वीर्य (Sperm) पर पहला अधिकार कीसकी, जानिए कलकत्ता हाई कोर्ट की अहम फैसला

कोलकाता : कोकलता उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के बाद यह बात कही हे की केवल विधवा पत्नी के पास मृतक के स्पर्म (Sperm) का अधिकार है। मृतक के स्पर्म को दिल्ली स्पर्म बैंक में स्टोर करके रखा गया था, पिता ने अपने बेटे के दिल्ली स्पर्म बैंक में स्टोर करके रखा गया स्पर्म को निकालने केलिए गुहार लगाईथी,आवेदन की सुबाई करते हुए कोलकाता उच्च न्यायालय ने मामले की यहाँ राय दिया हे ।

मृतक के पिता मार्च 2020 में कोलकाता उच्च न्यायालय में आबेदन किया था । उन्होंने शिकायत की कि बहू ने अपने बेटे के स्पर्म बैंक में रखने से इनकार कर दिया। क्योंकि उनके पिता ने पहले ही स्पर्म बैंक के साथ एक चुकती किया था।

जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने मामले की सुनवाई की और तीन पेज का निर्देश जारी किया। उन्होंने कहा कि उनकी को मौलिक अधिकार नहीं है । उस पर केवल उसकी पत्नी का अधिकार है।

मृतक के पिता ने यह भी कहा कि उनके बेटे ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की। उन्हें थैलेसीमिया का पता चला था और उनका इलाज दिल्ली के एक अस्पताल में चल रहा था। 2015 में, उन्होंने दिल्ली की एक युवती से शादी की। हालांकि, 2018 में युवक की अचानक मौत हो गई। लड़के के पिता ने तब स्पर्म बैंक को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि वह अपने बेटे की स्पर्म को नस्ट ना होने दे। स्पर्म बैंक के अधिकारियों ने 2019 में मृतक के पिता को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि स्पर्म का इस्तेमाल किसी और के गर्भधारण के लिए किया जाएगा तब जब उसकी पत्नी से ही उसकी अनुमति मिलेगी ।

इसके लिए पिता से एनओसी लाना चाहता था अपनी बोहु से । लेकिन बहू इंकार करदिया था । मामला तब अदालत में गया। मृतक के पिता ने अदालत से गुहार लगाई थी की उन्हें दिल्ली स्पर्म बैंक स्टोर में से स्पर्म निकालने केलिए अनुमति दिजाए ।

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