कटक: ओडिशा उच्च न्यायालय ने आज बलात्कार पर एक बड़ा फैसला सुनाया। अगर शादी के साथ सेक्स का वादा किया जाता है, तो इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसमें महिला की पूर्ण सहमति है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को एक मामले की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान आरोपी को जमानत देने का आदेश के साथ ये निर्णय भी दिया हे ।
दरअसल घटना ऐसा हे की 27 नवंबर, 2017 को कोरापुट जिले के पतंगी पुलिस स्टेशन की 17 वर्षीय लड़की ने आरोप लगाया कि उसके साथ बलात्कार किया गया था। उस पर उसके साथ यौन संबंध बनाने, उससे शादी करने का वादा करने और यहां तक कि दो बार गर्भवती होने का आरोप भी लगाया गया था।
उस समय पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार भी किया था और मामला चल रहा है। कोरापुट-जयपुर विशेष न्यायालय ने 11 दिसंबर, 2017 को आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया । लेकिन आरोपी ने उच्च न्यायालय में अपील की और आज उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि शादी के वादे कर के उनके साथ सेक्स करने को दुष्कर्म नहीं माना जाना चाहिए। दुष्कर्म कानून लागू होना बिलकुल भी उचित नहीं है क्योंकि इस मामले में युवती का स्वैच्छिक में संबंध बनाया गया है और बाद में शिकायत करती है। कानून के अनुसार, सेक्स को केवल 7 मामलों में बलात्कार माना जाता है।
- पीड़ित की इच्छा के विरुद्ध
- पीड़ित की अनुमति के बिन
- मारे जाने या घायल होने के डर की सहमति से
- एक व्यक्ति इस बात से सहमत है कि पीड़ित के पति को गलत समझा गया है
- जब मानसिक स्थिति ठीक नहीं है
- नशा करते समय
उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि संभोग, जिसे घटना को समझने में असमर्थता की स्थिति में लिया जाता है, को बलात्कार माना जाएगा।