संत बाबा राम सिंह की आत्महत्या का रहस्य, सुसाइड नोट में लिखी ये बात

नई दिल्ली : संत बाबा राम सिंह ने किसान आंदोलन के समर्थन में आत्महत्या कर ली है। “यह उनकी सारे अनुगामी को एक झटका के तरह लगने लहगा हे । पुलिस ने घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है। पुलिस अब फोरेंसिक रिपोर्ट की जांच कर रही है।

कहा जाता है कि बाबा मूल रूप से पंजाब के जांगराब इलाके में रहते थे। बाद में उन्होंने 1990 में सिंगदा में मठों और गुरुद्वार की स्थापना करके सिख धर्म का प्रसार कर रहे थे । उनकी मृत्यु के बाद आश्रम में हजारों अनुयायी पहुंचे। उनका पार्थिव शरीर एक दिन के लिए गुरुद्वारा इलाके में रखा गया था। उनका अंतिम संस्कार उनकी अंतिम दर्सन के बाद किया गया।

पुलिस ने अभी तक उनकी मौत के कारण स्पष्ट नहीं की है। उनके अनुयायियों का कहना है कि बाबा ने किसानों के लिए अपना बलिदान दिया हे । पुलिस ने कहा कि जब उसने खुद को गोली मारी तो बाबा कार में उसवक्त अकेले थे । अब उनके सुसाइड नोट काफी चर्चायें हो रही हैं।

बाबा ने सुसाइड नोट में लिखा है कि उन्होंने कुंडली सीमा पर किसानों की दुर्दशा देखी थी। न्याय के लिए वे सड़कों पर उतर आए हैं। लेकिन उनको न्याय नहीं मिल रहा हे । जो दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी पर भी अत्याचार करना पाप है। “लोगों ने किसानों के साथ एकजुट होने के लिए बहुत कुछ किया है।” कुछ ने पुरस्कार लौटा दिया। इसलिए वह खुद किसानों के समर्थन में और जुल्म के खिलाफ खुद आत्महत्या कर रहे है। “यह किसानों के अधिकारों के लिए है,” एक सुसाइड नोट में ये लिखा हे ।

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